|| भगवान राम का कथा ||

Anup Tiwary

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05 Jul, 2025

||  भगवान राम  का कथा  ||
|| राम कथा ||

राम कथा (संक्षेप में)

भगवान राम अयोध्या के राजा दशरथ और रानी कौशल्या के पुत्र थे। वे भगवान विष्णु के सातवें अवतार माने जाते हैं। उनका जीवन धर्म, कर्तव्य, त्याग और सत्य का आदर्श है।


📖 मुख्य घटनाएँ – राम कथा का सारांश:

1. राम जन्म:

अयोध्या के राजा दशरथ की तीन रानियाँ थीं – कौशल्या, कैकेयी और सुमित्रा। कई वर्षों तक संतान न होने पर ऋषि वशिष्ठ की सलाह पर दशरथ ने यज्ञ किया। यज्ञफल से चार पुत्र हुए – राम, लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न।


2. राम और सीता विवाह:

राम को गुरु विश्वामित्र के साथ वन में राक्षसों का संहार करने भेजा गया। वहाँ राम ने सीता को जनकपुरी (मिथिला) में स्वयंवर में शिवधनुष तोड़कर विवाह किया। सीता, राजा जनक की पुत्री थीं।


3. वनवास:

राजा दशरथ राम को युवराज बनाना चाहते थे, लेकिन कैकेयी ने अपनी दो वरदानों के चलते राम को 14 वर्ष का वनवास दिलवा दिया और भरत को राजा बनवाया। राम ने पिता की आज्ञा का पालन करते हुए पत्नी सीता और भाई लक्ष्मण के साथ वनगमन किया।


4. सीता हरण:

वन में रावण की बहन शूर्पणखा के अपमान के बाद रावण ने बदले में सीता का हरण किया और उन्हें लंका ले गया।


5. हनुमान और सुग्रीव से मित्रता:

राम ने सुग्रीव और हनुमान से मित्रता की और उनकी सहायता से वानर सेना बनाकर लंका की ओर प्रस्थान किया।


6. लंका युद्ध और रावण वध:

राम और रावण के बीच भीषण युद्ध हुआ। राम ने रावण का वध कर सीता को मुक्त कराया।


7. अग्निपरीक्षा और अयोध्या वापसी:

सीता ने अपनी पवित्रता सिद्ध करने के लिए अग्निपरीक्षा दी। राम, सीता और लक्ष्मण 14 वर्ष बाद अयोध्या लौटे, और राम का राज्याभिषेक हुआ। यह दिन दीपावली के रूप में मनाया जाता है।


8. उत्तरकांड:

कुछ लोगों की शंका के कारण राम ने गर्भवती सीता को वन भेज दिया, जहाँ उन्होंने लव और कुश को जन्म दिया। वर्षों बाद, पिता-पुत्रों का पुनर्मिलन हुआ।


राम का जीवन संदेश:

  • धर्म की रक्षा करो

  • सत्य का पालन करो

  • बड़ों की आज्ञा का सम्मान करो

  • त्याग, प्रेम और सेवा को जीवन में अपनाओ

भगवान राम, अयोध्या के राजा दशरथ के पुत्र और विष्णु के अवतार थे। उन्होंने 14 वर्षों का वनवास किया, रावण द्वारा अपहृत पत्नी सीता को छुड़ाया, अधर्म पर धर्म की विजय पाई और अयोध्या लौटकर आदर्श राजा बने।

👉 राम का जीवन त्याग, सत्य, कर्तव्य और मर्यादा का प्रतीक है।

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