🔱 विष्णु कथा (Vishnu Katha in Hindi)
भगवान विष्णु सनातन धर्म के त्रिदेवों में से एक हैं — ब्रह्मा (सृष्टि), विष्णु (पालन), और शिव (संहार)। विष्णु जी का कार्य सृष्टि की रक्षा करना है। जब-जब पृथ्वी पर अधर्म बढ़ता है, तब-तब वे विभिन्न रूपों में अवतार लेकर धर्म की स्थापना करते हैं।
भगवान विष्णु सृष्टि की रक्षा और संतुलन बनाए रखने के लिए अवतार लेते हैं। वे क्षीर सागर में शेषनाग पर शयन करते हैं और लक्ष्मी जी उनकी पत्नी हैं।
प्रलय के समय भगवान विष्णु ने मछली (मत्स्य) रूप लेकर वैदिक ज्ञान और ऋषियों की रक्षा की।
समुद्र मंथन के समय उन्होंने कछुए का रूप लिया और मंदराचल पर्वत को अपनी पीठ पर संभाला।
हिरण्याक्ष नामक राक्षस ने पृथ्वी को पाताल में छिपा दिया था। विष्णु जी ने सूअर (वराह) रूप में आकर पृथ्वी को बचाया।
हिरण्यकश्यप नामक राक्षस को मारने के लिए विष्णु ने आधा सिंह, आधा मानव रूप लिया और अपने भक्त प्रह्लाद की रक्षा की।
बलि राजा से तीन पग में सारा ब्रह्मांड माँग कर धर्म की स्थापना की।
कठोर और अधर्मी क्षत्रियों का नाश करने के लिए भगवान विष्णु ने परशुराम रूप लिया।
अयोध्या के राजकुमार राम ने रावण का वध कर धर्म की स्थापना की।
कृष्ण ने मथुरा में कंस का वध, महाभारत में अर्जुन को गीता का ज्ञान दिया और अधर्मियों का विनाश किया।
भगवान विष्णु ने बुद्ध रूप में जन्म लेकर संसार को करुणा और अहिंसा का संदेश दिया।
कलियुग के अंत में भगवान विष्णु कल्कि रूप में प्रकट होंगे और अधर्म का नाश करेंगे।
“यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत।
अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम्॥”
(भगवद्गीता 4.7)
जब-जब धर्म की हानि और अधर्म की वृद्धि होती है, मैं साकार रूप में अवतरित होता हूँ।
भगवान विष्णु, पालनकर्ता हैं, जो समय-समय पर अवतार लेकर संसार में धर्म की रक्षा करते हैं। उनका हर अवतार एक विशेष उद्देश्य से जुड़ा होता है और जीवन में सत्य, धर्म और करुणा की शिक्षा देता है।
भगवान विष्णु, पालनकर्ता हैं, जो समय-समय पर अवतार लेकर संसार में धर्म की रक्षा करते हैं। उनका हर अवतार एक विशेष उद्देश्य से जुड़ा होता है और जीवन में सत्य, धर्म और करुणा की शिक्षा देता है।