प्रयागराज में तीन नदियाँ मिलती हैं:
गंगा – पवित्रता और मोक्ष की प्रतीक
यमुना – सुंदरता और जीवनदायिनी
सरस्वती – अदृश्य आध्यात्मिक नदी
📍 इसी संगम पर स्नान को पापमोचक और मोक्षप्रद माना जाता है।
हिंदू धर्म में प्रयाग को "तीर्थराज" कहा गया है, जिसका अर्थ है: सभी तीर्थों में सबसे श्रेष्ठ।
🕉️ स्कंद पुराण, महाभारत, और रामायण जैसे ग्रंथों में इसका विशेष महत्व बताया गया है।
प्रयागराज में हर 12 वर्षों में एक बार कुंभ मेला और हर 6 साल में अर्धकुंभ होता है।
📅 अगला महाकुंभ: 2025 में
लाखों श्रद्धालु यहाँ संगम में स्नान कर पापों से मुक्ति और मोक्ष की कामना करते हैं।
बड़े हनुमान मंदिर – लेटे हुए हनुमान जी की दुर्लभ प्रतिमा
अल्फ्रेड पार्क (चंद्रशेखर आज़ाद स्मारक) – ऐतिहासिक स्थल
अखंड ज्योति मंदिर
शंकर विमान मंडपम – दक्षिण भारतीय शैली का मंदिर
अरैल घाट, दशाश्वमेध घाट – प्रमुख संगम स्नान घाट
मुग़ल सम्राट अकबर ने प्रयागराज को इलाहाबाद नाम दिया था।
यहाँ ब्रिटिश काल में कई प्रशासनिक इमारतें बनीं।
स्वतंत्रता संग्राम में भी प्रयागराज का विशेष योगदान रहा – यह कई स्वतंत्रता सेनानियों का कार्यक्षेत्र रहा।
माना जाता है कि जब समुद्र मंथन से अमृत निकला, तो उसके चार बूँदें चार स्थानों पर गिरीं — प्रयागराज, हरिद्वार, उज्जैन और नासिक।
प्रयाग में ब्रह्मा जी ने सृष्टि की रचना से पहले यज्ञ किया था, इसलिए इसे “प्रथम तीर्थ” कहा जाता है।
तीन पवित्र नदियों का संगम स्थल
धर्म, संस्कृति और इतिहास का केंद्र
कुंभ मेला जैसे विश्वविख्यात आयोजन का स्थल
मोक्ष, पुण्य और आत्मिक शुद्धि की प्रतीक भूमि
प्रयागराज (पूर्व नाम: इलाहाबाद) उत्तर प्रदेश का एक प्रमुख तीर्थ स्थल है, जहाँ गंगा, यमुना और सरस्वती नदियों का संगम होता है, जिसे त्रिवेणी संगम कहा जाता है।
यहाँ हर 12 वर्षों में दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक मेला – कुंभ मेला – आयोजित होता है।
🔸 यह स्थल वेदों में "प्रयाग" के नाम से जाना गया है और इसे तीर्थराज (सभी तीर्थों में श्रेष्ठ) कहा गया है।
🔸 मान्यता है कि ब्रह्मा जी ने यहाँ प्रथम यज्ञ किया था।
👉 प्रयागराज आत्मिक शुद्धि, स्नान और मोक्ष प्राप्ति का प्रमुख केंद्र है।