एक बार देवता और दानव अमृत प्राप्त करने के लिए समुद्र मंथन करने लगे। मंदराचल पर्वत को मथनी और वासुकी नाग को रस्सी बनाया गया। जैसे ही मंथन शुरू हुआ, सबसे पहले समुद्र से हलाहल विष निकला, जो इतना घातक था कि पूरी सृष्टि को नष्ट कर सकता था।
सभी देवता और असुर डर गए और भगवान शिव से सहायता की प्रार्थना की। शिव जी ने संसार की रक्षा के लिए वह विष पी लिया, लेकिन उसे अपने कंठ में ही रोक लिया ताकि वह शरीर में न जाए। विष के प्रभाव से उनका गला नीला हो गया, इसलिए वे नीलकंठ कहलाए।
👉 यह कथा शिव के बलिदान और करुणा का प्रतीक है।
पूर्वजन्म में पार्वती, सती थीं – दक्ष प्रजापति की पुत्री और भगवान शिव की पत्नी। लेकिन सती ने अपने पिता द्वारा शिव का अपमान सहन न कर पाने के कारण योगबल से अपने प्राण त्याग दिए।
इसके बाद सती ने हिमालयराज की पुत्री के रूप में पार्वती बनकर जन्म लिया। उन्होंने कठोर तपस्या की, वर्षों तक बिना अन्न-जल के शिव की आराधना की।
शिव पहले वैरागी थे और तप में लीन रहते थे, लेकिन पार्वती के प्रेम और तपस्या से प्रसन्न होकर उन्होंने विवाह स्वीकार किया।
उनका विवाह हिमालय पर अत्यंत भव्य रूप में संपन्न हुआ।
👉 यह कथा प्रेम, तप और संयोग का प्रतीक है।
राजा भागीरथ ने अपने पूर्वजों की मुक्ति के लिए गंगा को धरती पर लाने के लिए वर्षों तक तप किया। ब्रह्मा जी ने गंगा को छोड़ दिया, लेकिन उसकी वेगवती धारा से पृथ्वी टूट सकती थी।
इसलिए राजा ने शिव जी से प्रार्थना की।
भगवान शिव ने गंगा को अपनी जटाओं में रोक लिया और फिर धीरे-धीरे धरती पर छोड़ा, जिससे धरती की रक्षा हुई।
👉 इस कथा से शिव की धैर्यशीलता और सृष्टि के प्रति उनकी करुणा का परिचय मिलता है।
शिव और शक्ति एक-दूसरे के पूरक हैं। एक बार ऋषि भृंगी ने केवल शिव की पूजा करनी चाही, शक्ति की नहीं। इससे माता शक्ति नाराज़ हुईं।
तब भगवान शिव ने उन्हें अपना अर्धनारीश्वर रूप दिखाया — आधा शरीर पुरुष (शिव) और आधा स्त्री (शक्ति)।
👉 इस कथा से यह संदेश मिलता है कि सृजन पुरुष और स्त्री दोनों के समन्वय से ही संभव है।
भोलेनाथ – सरल और शीघ्र प्रसन्न होने वाले
रुद्र – रौद्र रूप, अन्याय के विनाशक
महादेव – देवों के भी देव
महाकाल – समय से परे, काल के स्वामी
भगवान शिव ने संसार की रक्षा के लिए विषपान कर नीलकंठ बने और पार्वती के तप से प्रसन्न होकर उनसे विवाह किया। वे करुणा, शक्ति और त्याग के प्रतीक हैं। भगवान शिव हिन्दू धर्म के त्रिदेवों में से एक हैं – ब्रह्मा, विष्णु और महेश। महेश, अर्थात् शिव, संहारक और पुनर्रचना के देवता हैं। शिव की कथाएँ अनेक हैं, जिनमें से एक प्रमुख और प्रसिद्ध कथा नीचे दी गई है: