हरिद्वार का शाब्दिक अर्थ है – “हरि” (भगवान विष्णु/राम) का “द्वार” यानी उनका प्रवेश द्वार। यह उत्तराखंड राज्य में गंगा नदी के किनारे बसा पवित्र शहर है।
यहाँ गंगा नदी हिमालय से मैदानों की ओर उतरती है, इसलिए इसे गंगा का आरंभिक तीर्थ माना जाता है।
हरिद्वार को हिंदुओं के लिए सप्तपुरी तीर्थों में से एक माना जाता है।
यहाँ स्नान करने से सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
कुंभ मेला हरिद्वार में 12 वर्षों में एक बार आयोजित होता है, जो विश्व का सबसे बड़ा धार्मिक आयोजन है।
हर की पौड़ी: गंगा नदी के किनारे सबसे प्रसिद्ध घाट, जहाँ प्रतिदिन भव्य गंगा आरती होती है।
माया देवी मंदिर: हरिद्वार का प्राचीन शक्तिपीठ।
चंडी देवी मंदिर और मंगल देवी मंदिर: पहाड़ों पर स्थित शक्तिपीठ।
महाकालेश्वर मंदिर: शिव का प्रसिद्ध मंदिर।
हरिद्वार हिमालय की तलहटी में स्थित है, जो प्राकृतिक सुंदरता से भरपूर है। यहां तीर्थयात्रा के साथ-साथ योग, ध्यान और आयुर्वेदिक चिकित्सा के लिए भी लोग आते हैं।
हरिद्वार में कुंभ मेला और अर्द्धकुम्भ मेला आयोजित होते हैं।
इन मेलों में लाखों श्रद्धालु स्नान कर पुण्य कमाते हैं।
गंगा आरती के समय घाटों पर भक्तों की भीड़ उमड़ती है।
यहाँ साधु-संतों का बड़ा समुदाय रहता है, जो योग और साधना में लीन रहते हैं। हरिद्वार को आध्यात्मिक जागरण का केंद्र भी माना जाता है।
हरिद्वार न केवल एक तीर्थ स्थल है, बल्कि यह पवित्रता, श्रद्धा और आध्यात्मिक उन्नति का प्रतीक है। यहाँ गंगा में स्नान कर जीवन के पापों से मुक्ति और मोक्ष की कामना की जाती है।
हरिद्वार उत्तराखंड में स्थित एक पवित्र तीर्थस्थल है जहाँ गंगा नदी हिमालय से मैदानों की ओर उतरती है। इसे “हरि का द्वार” कहा जाता है। यहाँ हर 12 वर्षों में विश्व प्रसिद्ध कुंभ मेला होता है।
हरिद्वार का प्रमुख आकर्षण हर की पौड़ी घाट पर होने वाली गंगा आरती है। यहाँ स्नान करने से पाप मिटते हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है।