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|| धार्मिक स्वतंत्रता की रक्षा ||


धर्म का संरक्षण का अर्थ है हर व्यक्ति को अपने धर्म को मानने, उसका पालन करने, प्रचार करने और आस्था व्यक्त करने की पूर्ण स्वतंत्रता देना, बिना किसी डर, भेदभाव या हिंसा के।इसमें शामिल हैं: धार्मिक स्वतंत्रता किसी भी लोकतांत्रिक समाज की मूलभूत आवश्यकता है। इसका संरक्षण सरकार, समाज और प्रत्येक नागरिक की संयुक्त जिम्मेदारी है। भारत में संविधान सभी धर्मों को समान सम्मान और स्वतंत्रता देता है, जो हमारे विविध और एकता से भरे समाज की पहचान है। 

प्रशिक्षण एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें व्यक्ति को विशेष कौशल और व्यावहारिक अनुभव प्रदान किया जाता है, ताकि वह किसी विशिष्ट कार्य को कुशलता से कर सके। यह रोज़गार, तकनीकी कार्य और जीवन कौशल में दक्षता लाता है। शिक्षा और प्रशिक्षण एक सशक्त और आत्मनिर्भर भारत की नींव हैं। जहाँ शिक्षा व्यक्तित्व को विकसित करती है, वहीं प्रशिक्षण व्यक्ति को आजीविका कमाने योग्य बनाता है। दोनों के संतुलित विकास से ही हम समाज को ज्ञानवान, रोजगारयुक्त और समृद्ध बना सकते हैं।